गीता में मांस खाने के बारे में क्या लिखा है – सम्पूर्ण जानकारी

गीता में मांस खाने के बारे में क्या लिखा हैसम्पूर्ण जानकारी – गीता हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और प्राचीन ग्रंथ माना जाता हैं. इस ग्रंथ में मनुष्य के बारे में सारी बातें बताई गई हैं. सिर्फ मनुष्य के बारे में ही नही लेकिन इस सृष्टि के प्रत्येक जीव के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया हैं.

जो व्यक्ति गीता का अध्ययन करके अपने जीवन में गीता में लिखी बातों को उतार लेता हैं. तो वह इंसान कभी भी दुखी नही होता हैं. और अपने जीवन को एक अच्छी दिशा देता हैं. आज हम अपने आसपास काफी ऐसे लोगो को देखते है जो मांस का सेवन करते हैं. मांस के सेवन के बारे में भी गीता में काफी कुछ बताया गया हैं.

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जिसके बारे में हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से जानकारी प्रदान करने वाले हैं. इसलिए यह महत्वपूर्ण जानकारी पाने के लिए आज का हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े.

दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताने वाले है की गीता में मांस खाने के बारे में क्या लिखा है. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं.

तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं.

गीता में मांस खाने के बारे में क्या लिखा है

गीता में भगवान श्री कृष्ण ने तीन प्रकार के भोजन के बारे में बताया है. सात्विक भोजन, राजसिक भोजन और तामसिक भोजन. मांस को तामसिक भोजन के रूप में जाना जाता हैं. तामसिक भोजन में मांस, मदिरा आदि का समावेश किया जाता हैं.

मांस किसी जीव के शरीर का हिस्सा होता हैं. जो दुर्गंध वाला, अर्धपका और अपवित्र माना जाता हैं. गीता में भगवान श्री कृष्ण ने मांस खाने को लेकर साफ़ तौर पर मना किया हुआ हैं. गीता के अनुसार जो लोग मांस का सेवन करते हैं. वह राक्षस होते हैं. इसलिए गीता में मांस खाने के बारे में साफ साफ मना किया गया हैं.

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गरुड़ पुराण के अनुसार मांस खाना पुण्य है या पाप

गरुड़ पुराण के अनुसार भी मांस खाना पाप माना जाता हैं. हिंदू धर्म का कोई भी ग्रंथ ऐसा नहीं हैं. जो मांस खाने के लिए प्रेरित करे. गरुड़ पुराण में भी मांस खाने को लेकर काफी कुछ बताया गया हैं. गरुड़ पुराण के अनुसार जो लोग मांस खाते हैं. वह कलयुग में राक्षस माने जाते हैं.

गरुड़ पुराण के अनुसार मांस खाना बहुत ही बड़ा पाप माना जाता हैं. जो जीव अन्य जीव को खाता हैं. यह बहुत ही बड़ा पाप माना जाता हैं. ऐसे लोगो को भगवान की शरण में जगह नही मिलती हैं. ऐसे लोगो को उनके पाप की सजा दी जाती हैं. इसलिए गरुड़ पुराण के अनुसार भी मांस खाना पाप माना जाता हैं.

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मनुस्मृति मांस खाना लिखा है?

मनुस्मृति भी हिंदू धर्म का पवित्र और मौलिक ग्रंथ माना जाता हैं. इस ग्रंथ में मांस खाना अच्छा नही बताया गया हैं. मनुस्मृति के अनुसार मांस खाना पाप होता हैं.

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निष्कर्ष    

दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताया है की गीता में मांस खाने के बारे में क्या लिखा है. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान की हैं.

हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा. अगर उपयोगी साबित हुआ हैं. तो आगे जरुर शेयर करे. ताकि अन्य लोगो तक भी यह महत्वपूर्ण जानकारी पहुंच सके.

दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह गीता में मांस खाने के बारे में क्या लिखा है सम्पूर्ण जानकारी आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद

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