मूलाधार चक्र के रोग कौनसे है – मूलाधार चक्र जागरण अनुभव कैसा होता है – मनुष्य के शरीर में कुल सात प्रकार के चक्र पाए जाते हैं. जो मनुष्य के शरीर का मूल आधार माने जाते हैं. ऐसा माना जाता है की इन सात चक्र में अगर असंतुलन पैदा होता हैं. तो इससे मनुष्य रोग से पीड़ित हो जाता हैं. सभी चक्र अलग अलग रोग देने वाले होते हैं. जिसमें से मूलाधार चक्र भी अहम और महत्वपूर्ण माना जाता हैं.
यह चक्र मानव शरीर में गुप्तांग और गुदा के बीच में मौजूद होता हैं. अगर इस चक्र में असंतुलन पैदा होता हैं. तो विभिन्न प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं. और व्यक्ति रोग से पीड़ित हो सकता हैं.
मूलाधार चक्र से होने वाले कुछ रोग के बारे में आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करने वाले हैं. इसलिए इस उपयोगी जानकारी को पाने के लिए आज का हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े.
दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताने वाले है की मूलाधार चक्र के रोग कौनसे है. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं.
तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं.
मूलाधार चक्र के रोग कौनसे है
जब मनुष्य के शरीर में मूलाधार चक्र में असंतुलन पैदा होता हैं. तब नीचे दी गए रोग हो सकते हैं.
मानसिक तनाव और चिंता
अगर आप हमेशा ही मानसिक तनाव और चिंता में डूबे रहते हैं. तो यह भी एक दिमाग से जुड़ा रोग माना जाता हैं. अगर कोई व्यक्ति अधिक मानसिक तनाव और चिंता में डूबा रहता हैं. तो यह मूलाधार चक्र जुड़ा रोग माना जाता हैं.
अगर आपके मूलाधार चक्र में असंतुलन पैदा होता हैं. तो इससे आपको मानसिक रोग हो सकता हैं. यह रोग होने पर कई बार व्यक्ति आत्महत्या के बारे में भी सोचने लगता हैं.
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अधिक आलस आना
मूलाधार चक्र असंतुलित होने पर आपको अधिक आलस आ सकता हैं. आप किसी भी काम को करने के लिए दूर भाग जाते हैं. अगर थोडा सा भी काम करने के लिए आपको आलस आ रहा हैं. तो मान लीजिए की आपके मूलाधार चक्र में गडबडी हैं.
निष्क्रियता
मूलाधार चक्र असंतुलित होने पर व्यक्ति में निष्क्रियता आ जाती हैं. इस वजह से व्यक्ति को कोई भी काम करने मन नही होता हैं. व्यक्ति अपने जरूरी काम भी नही करता हैं. इस वजह से वह सफलता पाने में भी पीछे रह जाता हैं. लेकिन अगर व्यक्ति का मूलाधार चक्र ठीक होता हैं. तो व्यक्ति सभी कार्य करता हैं. और अपने जीवन में तरक्की करता हैं.
अधिक शारीरिक संबंध और भोग
अगर मूलाधार चक्र असंतुलित होता हैं. तो इससे व्यक्ति भोग के बारे में ही अधिक सोचता हैं. और सामान्य से ज्यादा भोग करने लगता हैं. अगर कोई व्यक्ति जरूरत से ज्यादा भोग करने लगता हैं. तो उसके जीवन में और भी कई सारी परेशानियां आने लगती हैं. ऐसा माना जाता है की सबसे अधिक बीमारी अधिक भोग से ही आती हैं.
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मूलाधार चक्र जागरण अनुभव
मूलाधार चक्र जागरण होने पर आपको नीचे दिए गए अनुभव हो सकते हैं.
- मूलाधार चक्र जागरण होने पर व्यक्ति के स्वभाव में अचानक से बदलाव आने लगता हैं.
- व्यक्ति खुश रहने लगता हैं. हमेशा ही व्यक्ति आनंदित रहता हैं.
- व्यक्ति में अचानक से वीरता आ जाती हैं. व्यक्ति निडर और भय मुक्त हो जाता हैं.
- मूलाधार चक्र जागरण होने पर व्यक्ति हर एक काम करने में सक्षम हो जाता हैं. ऐसे व्यक्ति जीवन में सफलता की प्राप्ति करती हैं.
- मूलाधार चक्र जागरण होने पर व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनता हैं. यह जागरण होने के बाद व्यक्ति बीमारी से बचा रहता हैं.
- मूलाधार चक्र जागरण होने पर व्यक्ति रोगों से बचा रहता हैं.
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निष्कर्ष
दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताया है की मूलाधार चक्र के रोग कौनसे है – – मूलाधार चक्र जागरण अनुभव कैसा होता है. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान की हैं.
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