पितृ दोष की पूजा कब करनी चाहिए – पितृ दोष क्यों होता है

पितृ दोष की पूजा कब करनी चाहिए – पितृ दोष क्यों होता है – दिवंगत आत्मा के श्राप के कारण हमारे जीवन में पितृ दोष लगता हैं. पितृ दोष लगने पर परिवार वालों को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं. इस दोष के कारण जीवन में आर्थिक तंगी तथा दुख आते हैं. ऐसा दोष हमारे लिए सही नहीं माना जाता हैं.

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इसलिए ऐसे दोष को जल्दी से जल्दी दूर करने के लिए पूजा करनी चाहिए. और पितृ से माफ़ी मांग कर उन्हें शांत करना चाहिए. पितृ दोष की पूजा से पितृ शांत होते हैं. तथा उनके शुभ आशीर्वाद की प्राप्ति होती हैं. ऐसे दोष को दूर करने के लिए कब पूजा करनी चाहिए. इस बारे में हम आपको इस आर्टिकल में जानकारी प्रदान करने वाले हैं.

दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताने वाले है की पितृ दोष की पूजा कब करनी चाहिए तथा पितृ दोष क्यों होता है. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं. तो यह सभी महत्वपूर्ण जानकारी पाने के लिए हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े.

तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं.

पितृ दोष की पूजा कब करनी चाहिए

भाद्रपद महीने की पूर्णिमा तिथि से श्राद्ध पक्ष की शुरुआत होती हैं. इसी पक्ष में पितरों को याद किया जाता हैं. उनके नाम से तर्पण विधि की जाती हैं. इस माह में आप पितृ दोष निवारण के लिए पूजा करवा सकते हैं. पितृ दोष निवारण के लिए यह माह काफी अच्छा माना जाता हैं.

पितृ दोष लगने के कारण व्यक्ति के जीवन में काफी सारी परेशानियां आती हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य अगर तुला राशि में है. या फिर राहू तथा शनि के साथ युति में हैं. तो पितृ दोष जातक पर बढ़ जाता हैं. ऐसी स्थिति में जातक पर पितृ का बुरा प्रभाव बढ़ जाता हैं. ग्रहों के ऐसे योग के कारण जातक के जीवन में समस्याएँ आती हैं.

अगर आपके जीवन में भी ऐसी कोई समस्या दिखाई दे तो आपको परिस्थिति को देखते हुए पितृ दोष की पूजा करवानी चाहिए.

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पितृ दोष क्यों होता है

पितृ दोष कुंडली में ग्रह परिवर्तन के कारण होता हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर आपकी कुंडली में दुसरे, चौथे, पांचवे, नौवे या दसवें भाव में सूर्य, राहू या फिर शनि मौजूद हैं. या ऐसे भाव में इन ग्रहों के योग हैं. तो आप पर पितृ दोष लग सकता हैं.

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पितृ दोष के प्रकार

पितृ दोष मुख्यरूप से दों प्रकार के होते हैं. एक सूर्यकृत पितृ दोष तथा दूसरा मंगलकृत पितृ दोष.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन जातक पर सूर्यकृत पितृ दोष लगता हैं. उस जातक के अपने परिवार के बड़े लोगो से विचार नहीं मिलते हैं. तथा जिस जातक पर मंगलकृत पितृ दोष लगता हैं. उन जातक का परिवार के छोटे लोगो से विचार नहीं मिलते हैं.

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पितृ दोष पूजा सामग्री

पितृ दोष की पूजा में लगने वाली सामग्री हमने नीचे बताई हैं.

हल्दी, पुष्प, पूजा के लिए साबुत सुपारी, चीनी, अक्षत चावल, जनेऊ, रोली, हवन करने के लिए सुखी लकड़ी, देसी शुद्ध घी, पान के पत्ते, आम के पत्ते, मिष्ठान, गंगाजल, कलावा तथा पांच प्रकार की मिठाई.

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पितृ दोष और कालसर्प दोष में अंतर

जब कुंडली के नवम भाव में सूर्य, राहू या केतु मौजूद होते हैं. तो ऐसा दोष पितृ दोष कहलाता हैं. और जब राहू और केतु के बीच में सभी ग्रह आकर विराजमान हो जाते हैं. तब ग्रहों की ऐसी स्थिति कालसर्प दोष उत्पन्न करती हैं. इस तरीके से पितृ दोष और कालसर्प दोष के अंतर को समझा जा सकता हैं.

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निष्कर्ष

दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताया है की पितृ दोष की पूजा कब करनी चाहिए तथा पितृ दोष क्यों होता है. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान की हैं. हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा. अगर उपयोगी साबित हुआ हैं. तो आगे जरुर शेयर करे. ताकि अन्य लोगो तक भी यह महत्वपूर्ण जानकारी पहुँच सके.

दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह पितृ दोष की पूजा कब करनी चाहिए / पितृ दोष क्यों होता है आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद

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