संक्षिप्त तर्पण विधि / पिता, माता, दादी तर्पण विधि मंत्र – पितृपक्ष में हमारे पितरों को प्रसन्न करने के लिए उनका श्राद्ध किया जाता हैं. श्राद्ध में तर्पण विधि बहुत ही महत्व की मानी जाती हैं. पितृपक्ष में पितरों की तर्पण विधि करने से पितृ प्रसन्न होते हैं. और उनके शुभ आशीर्वाद की प्राप्ति होती हैं.
श्राद्ध पक्ष में आप अपने माता-पिता, दादा-दादी, चाचा-चाची, बहन-भाई या अन्य कोई भी निकट के संबंधी की तर्पण विधि कर सकते हैं. यह तर्पण विधि कैसे की जाती हैं. इसकी संपूर्ण जानकारी हम आपको इस आर्टिकल में देने वाले है. इसलिए हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े.
दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से संक्षिप्त तर्पण विधि तथा तर्पण विधि मंत्र बताने वाले हैं. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं.
तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं.
Table of Contents
संक्षिप्त तर्पण विधि
संक्षिप्त तर्पण विधि हमने नीचे बताई हैं.
- पितृ को तर्पण देने का मतलब उन्हें जल देना होता हैं.
- पितृ को तर्पण देने के लिए सबसे पहले अपने हाथ में तर्पण का सारा सामान लेकर दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके बैठ जाए.
- अपने हाथ में कुशा, जल, अक्षत, पुष्प, काले तिल सामग्री के रूप में लेकर बैठ जाए.
- अब अपने पितरों को सच्ची श्रद्धा से याद करे. और उन्हें आमंत्रित करे.
- आप उनका नाम लेकर उनका आहवान करे. और उन्हें कहे की कृपया यहाँ आकर हमारे द्वारा दिया गया जल ग्रहण करे.
- इसके पश्चात हाथ में लिए हुए जल को पृथ्वी पर अर्पित करे.
- यह प्रक्रिया आप 5, 7 या 11 बार कर सकते हैं.
- ऐसा करने पर आपकी संक्षिप्त तर्पण विधि आसानी से समाप्त हो जाएगी.
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तर्पण विधि मंत्र
तर्पण विधि मंत्र सहित करना चाहिए. तर्पण विधि के कुछ मंत्र हमने नीचे बताया हैं.
पिता की तर्पण विधि का मंत्र
अस्मतपिता (पिता का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः
माता की तर्पण विधि का मंत्र
(गोत्र का नाम लें) गोत्रे अस्मन्माता (माता का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः
दादी की तर्पण विधि का मंत्र
(गोत्र का नाम लें) गोत्रे पितामां (दादी का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः
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तर्पण करने का सही समय क्या है
पितृपक्ष में तर्पण के माध्यम से पितृ को जल अर्पित किया जाता हैं. तथा श्राद्ध के माध्यम से पितृ को भोजन अर्पित किया जाता हैं. लेकिन तर्पण करने का सही समय सुबह से लेकर दुपहर तक का माना जाता हैं.
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अगर आप इस समय के दौरान तर्पण करते हैं. तो यह अतिउत्तम सही समय माना जाता हैं. शाम के समय तथा रात्रि के समय कभी भी तर्पण नहीं करना चाहिए. इस समय किया गया तर्पण कभी भी पितृ तक नहीं पहुंचता हैं.
गणेश तर्पण विधि
गणेश तर्पण विधि हमने नीचे बताई हैं.
- गणेश तर्पण विधि करने से पहले स्नान आदि करके शुद्ध वस्त्र धारण कर ले.
- अब आपने सामने भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करे.
- अब अपने हाथ में गंगाजल लेकर भगवान गणेश का जल से अभिषेक करे.
- इसके पश्चात गणेश जी को घी का दीपक जलाए और उन्हें पुष्प आदि अर्पित करे.
- भगवान गणेश की तर्पण विधि में आप दूर्वा घास भी अर्पित कर सकते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश को दूर्वा घास अर्पित करने से गणेशजी जी प्रसन्न होते हैं.
- इसके पश्चात हाथ में जल लेकर भगवान गणेश का ध्यान करे. और उन्हें सिंदूर आदि लगाए.
- इतना हो जाने के बाद गणेशजी को लड्डू का भोग लगाए.
- इस प्रकार से आप आसान तरीके से गणेश तर्पण विधि कर सकते हैं.
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निष्कर्ष
दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से संक्षिप्त तर्पण विधि तथा तर्पण विधि मंत्र बताया हैं. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान की हैं.
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दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह संक्षिप्त तर्पण विधि / पिता, माता, दादी तर्पण विधि मंत्र आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद
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